फादर्स डे पर…..
पिता दिवस
पिता बना समझा तभी एक पिता की पीर
पिता सिधारे स्वर्ग तब चले ह्रदय पर तीर
जीवन भर खाता रहा डाँट और फट कार
कभी समझ पाया नहीं कहाँ छुपा है प्यार
माँ के आँसू बोलते बिन बोले सब बोल
पिता सदा आँसू पिए तरह तरह से बोल
बेटी की पीड़ा सही कभी न किया प्रचार
ख़ुशी बाँटते ही रहे ले ले हँसी उधार
मेरी शिक्षा के लिए मोपेड़ लयी उधार
ख़ुद टूटे सी साइकिल उसपे रहे सवार
तुम पर टूटी साइकल मुझ पर मोटर कार
आज पिता जी तुम बिना सब कुछ है बेकार
शासन अनुशासन पिता का हम पर अधिकार
जीवन क्रम और त्याग का है अनुपम आधार
पि त्र दिवस पर आप से माँगू एक उपहार
पुनर्जन्म में आपका पुत्र बनूँ हर बार
सुभाष