Author Archives: Sahitya Australia

About Sahitya Australia

Being a Hindi poet, writer and teacher, I would like to promote Hindi in Australia. This blog will publish renowned and budding Hindi writers and poets' poems, articles and stories.

तुम होली आज मना लो -प्रवीण गुप्ता

ये झाँझर तुम झनका लो, एक ठुमका आज लगा लो, अपने दिल के रंग से, ये दुनिया सारी रंग लो । बैर भुला के सारे, इक प्यार की बोली बोलो, है कोई नहीं पराया, तुम सब को गले लगा लो … पढना जारी रखे

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होली की कविताएं

-विजय कुमार सिंह हर रंग का अपना रंग जमे , यह होली का त्यौहार अलग |… हर सुर का अपना राग सजे , इस होली का सुर-राग अलग | .. रँग लाल गुलाबी केसरिया , यह हरा बैंगनी आसमानी | … पढना जारी रखे

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विपुल गोयल, सिडनी

1. बचपन का ज़माना था, जिसमे खुशियों का ख़ज़ाना था ! माँ का मानना था, पापा का कंधे पर मेला दिखाना था ! हम ज़िद करते रहते वो ज़िद मानते रहते.. मैं आज कुछ कर न पा रहा हूँ, बूढी … पढना जारी रखे

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क़तरा क़तरा बातें- रेखा राजवंशी सिडनी

अश्कों की बरसातें लेकर लोग मिले ग़म में भीगी रातें लेकर लोग मिले .. पूरी एक कहानी कैसे बन पाती क़तरा क़तरा बातें लेकर लोग मिले   भर पाते नासूर दिलों के कैसे जब ज़हर बुझी सौगातें लेकर लोग मिले … पढना जारी रखे

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हरिहर झा, ऑस्ट्रेलिया

कलम गहो हाथों में साथी शस्त्र हजारों छोड़ तूलिका चले, खुले रहस्य तो धोखों  से  उद्धार भेद बताने लगें आसमाँ जिद्द  छोड़ें  गद्दार पड़ाव हर मंजिल के नापें चट्टानो को तोड़ मोड़ें बादल बिजली का रूख शयन सैंकड़ों  छोड़ कीचड़ … पढना जारी रखे

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अजय बजाज- सिडनी

एक जिंदगी रूप हज़ार ऐ जिंदगी तू भी ऐक शह है अजीब सी ! ना जाने कभी एहसास ऐसा होता है क्यों लगता है छोटा सा सफर भी एक बोझ तेरी राहों में तेरे साथ चलते चलते तो कभी तेरे … पढना जारी रखे

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कुलवंत खुराना, सिडनी

  न पूछ तूं इस शहर की ख़ामोशी का आलम, बड़ी ख़ौफ़नाक चीख़ो के दौर से गुज़रा है ये …. न कर इस ज़माने से तूं शिकवा कोई अब, यहाँ गुनहगार ही पहरेदार बने बैठे हों जब। …. मत गिन … पढना जारी रखे

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गौरव कपूर, सिडनी

गलियाँ तंग ऊँचे ऊँचे चौबारे थे मेरे बचपन में कुछ ऐसे ही नज़ारे थे घर पे कुछ भी ख़ास पकाओ तो मोहल्ले में बांटने का चलन था जिन लोगों से अपने भाईचारे थे…! … वक़्त ने हालात बदल दिए हैं … पढना जारी रखे

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मातृभूमि को समर्पित- विजय कुमार सिंह

(यह मेरा सौभाग्य है ,वह देश मेरी मातृभूमि है जिसने मनुष्य की चारों ही race (यदि आप इन्हें मानते हैं ) Negrito, Australoid, C…aucasoid, Mongoloid को आश्रय दिया है | उन्हें पाला-पोसा है | मैं नहीं जानता और ऐसे देश … पढना जारी रखे

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सुभाष शर्मा – मेलबर्न

फादर्स डे पर….. पिता दिवस पिता बना समझा तभी एक पिता की पीर पिता सिधारे स्वर्ग तब चले ह्रदय पर तीर जीवन भर खाता रहा डाँट और फट कार कभी समझ पाया नहीं कहाँ छुपा है प्यार माँ के आँसू … पढना जारी रखे

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