तुम होली आज मना लो -प्रवीण गुप्ता

Holi 2

ये झाँझर तुम झनका लो, एक ठुमका आज लगा लो,
अपने दिल के रंग से, ये दुनिया सारी रंग लो ।

बैर भुला के सारे, इक प्यार की बोली बोलो,
है कोई नहीं पराया, तुम सब को गले लगा लो ।
आज न गाओ बिरहा, तुम प्रीत की ठुमरी गा लो,
जो मदहोश जहाँ को कर दे, उसमें ऐसी भाँग मिला लो ।

Holi

जिसके फूल नहीं मुर्झायें, जहाँ खुशियाँ ही मुस्कायें,
जिस पर सदा चाँदनी बरसे, तुम ऐसी सेज सजा लो ।

क्या साथ था अपने लाया, क्या साथ यहाँ से जाये,
जो खुशियाँ यहाँ हैं पाईँ, वो दोनों हाथ लुटा लो ।
न जाने कब हो फेरी, क्यों करते हो तुम देरी,
प्यार में सब को रंग कर, तुम होली आज मना लो ।

About Sahitya Australia

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