जादूगर
देखो आया जादूगर
थैला लाया जादूगर
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थैले में डाली झालर
छडी घुमाई फिर उस पर
बढ़ती जाती है झालर
गागर में जैसे सागर
देखो आया जादूगर
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थैले में डाला अंडा
अंडे पर पर फेरा डंडा
बना दिया उसको झंडा
झंडा उड़ता फ़र फ़र फ़र
देखो आया जादूगर
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मैं जो होता जादूगर
चौकलेट के पेड़ लगाता
पेप्सी कोला ढेर बनाता
पीते बच्चे जी भर कर
दिखलाता मैं जादू हर
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छोटे छोटे पंख
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काश कि मैं बन जाती तितली
फूल-फूल मंडराती तितली।
रंग-बिरंगी सुन्दर प्यारी
सबका मन हर्षाती तितली।
छोटे छोटे पंख लगाकर
यहाँ वहां उड़ जाती तितली।
बैठ फूल पर रस पीती है
बच्चों को भरमाती तितली।
उडती जाती हाथ न आती
नभ को छूकर आती तितली।
इसीलिये तो, इसीलिये तो
दुनिया भर को भाती तितली।
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रेखा राजवंशी